अंजान होंगे जब हम, कोई अजनबी होगा! अंजान होंगे जब हम, कोई अजनबी होगा!
यह ज़िन्दगी है यारों, यहां रोज़ लगता एक मेला है। यह ज़िन्दगी है यारों, यहां रोज़ लगता एक मेला है।
A poem about changing the centres A poem about changing the centres
हाथ में लड्डू और मुंह में घुल जाए मलाई अपकी खुशनुमा जिंदगी की हार्दिक बधाई। हाथ में लड्डू और मुंह में घुल जाए मलाई अपकी खुशनुमा जिंदगी की हार्दिक बधाई।
उस वक़्त आँसू कम था... मेरी आँखो से ज़्यादा मेरा दिल नम था... जो चाहिये था वो सब मिला था... उस वक़्त आँसू कम था... मेरी आँखो से ज़्यादा मेरा दिल नम था... जो चाहिये था वो सब म...
जिन्दगी फासला है मंजिल का, जिसको तय करते उम्र कट जाती। जिन्दगी फासला है मंजिल का, जिसको तय करते उम्र कट जाती।